सीएयू एजीएम: वित्तीय हालात टाइट, एथिक्स अफसर बदलने की तैयारी
देहरादूनः क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) की वार्षिक आम सभा (एजीएम) में इस बार एथिक्स अफसर और ओमबड्समैन बदलने पर चर्चा की जाएगी। यह दोनों ही पद मौजूदा समय पर रिटायर्ड जस्टिस चौधरी वीरेंद्र सिंह के पास हैं। वहीं देनदारी बढ़ने के कारण सभा मे बजट पर भी जोर रहेगा। देखना यह होगा कि एसोसिएशन के बजट प्रस्ताव पर बीसीसीआई कितनी तवज्जो देती है। बता दें कि बोर्ड ने पिछले वित्त वर्ष में एसोसिएशन के भुगतान पर कुछ समय तक रोक लगा कर रखी थी। सूत्रों की मानें तो सीएयू मे खासा प्रभाव रखने वाले बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला की सिफारिश पर जस्टिस वीरेंद्र की नियुक्ति हुई थी। लेकिन पिछले कुछ समय से शुक्ला वर्मा लाॅबी से नाराज बताए जा रहे हैं। यही कारण है कि अब शुक्ला की सिफारिश को बदलने की तैयारी हो रही है जिससे एसोसिशन में उनका दखल कम हो सके। सूत्रों के अनुसार वीरेंद्र सिंह को प्रतिमाह दो लाख का भुगतान किया जा रहा है। इसके अलावा बीसीसीआई की बैठकों में सीएयू का प्रतिनिधि भी इसी एजीएम में चुना जाना जाएगा। साथ ही नए वित्तीय वर्ष के क्रिकेट सीजन के लिए बजट और पिछली एजीएम की कार्रवाई की रिपोर्ट भी एजेंडे का मुख्य हिस्सा है। वहीं, पूर्व कोषाध्यक्ष पृथ्वी सिंह नेगी की बर्खास्तगी का मामला भी इस एजीएम में पुरजोर तरीके से उठ सकता है। बता दें कि, नेगी ने सीएयू की एपेक्स काउंसिल के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया हुआ है और उसमें पूरी कार्यकारिणी को पार्टी बनाया गया है। नेगी के अनुसार उपाध्यक्ष संजय रावत और सहसचिव अवनीश वर्मा ने उनके आरोपों का समर्थन किया है।
एसोसिएशन पर लगातार बढ़ रहा आर्थिक बोझ बीसीसीआई की ओर से नियमित तौर पर भुगतान न होने से सीएयू पर आर्थिक बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले एक वर्ष में सीएयू पर पांच करोड़ से अधिक की देनदारी है। कई वेंडर तो ऐसे हैं जिन्हें दो साल से अधिक समय से भुगतान नहीं हो सका है। इस बीच बीसीसीआई ने भी सीएयू को बजट जारी करने में हाथ टाइट किए हैं। यही कारण है कि अब एसोसिएशन के साथ जल्दी से कोई वेंडर काम करने को तैयार नहीं है। एसोसिएशन पहाड़ों में क्रिकेट के विकास के लिए अभी योजनाओं को अमलीजामा भी नहीं पहना सकी है। हाल यह है कुछेक जिलों को छोड़कर अन्य जिलों में क्रिकेट की सुविधा न होने के कारण खेल नहीं हो रहा है।
सीईओ की नियुक्ति पर भी सवाल
एसोसिएशन में सीईओ की नियुक्ति शुरुआत से ही विवादों में रही है। सीएयू को बोर्ड की मान्यता मिलते ही राजीव शुक्ला के करीबी अमृत माथुर को सीईओ नियुक्त किया गया था। एक ही सीजन में तमाम वित्तीय आरोपों से घिर चुके माथुर को हटाकर उनकी जगह अमन सिंह को लाया गया। अमन पर भी गुरुग्राम क्रिकेट स्कैंडल में संलिप्तता के आरोप लगे और उनकी भी एसोसिएशन से विदाई हो गई। इसके बाद एकाउंटेट मोहित डोभाल को ही अंतरिम सीईओ बना दिया गया। बायलाॅज के अनुसार अंतरिम सीईओ का कार्यकाल केवल तीन माह का होता है। नौ महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद भी अब तक सीएयू अपना स्थाई सीईओ नहीं नियुक्त कर पाई है। सीईओ को लेकर हीरा सिंह बिष्ट लाॅबी के सदस्य लगातार आवाज उठाते आए हैं, लेकिन एसोसिएशन के ओहदेदार इस ओर आंख बंद किए हुए बैठे हैं। इस प्रकरण पर भी कल होने वाली एजीएम में हो हल्ला संभव है।